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बुंदेलखंड और ब्रिक्स (Bundelkhand and BRICS)

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बुंदेलखंड और ब्रिक्स


बुंदेलखंड की डायरी

पर्यटन और इससे जुड़े कारोबार किसी भी देश ,समाज की अर्थव्यवस्था में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं । कई देशो की अर्थ व्यवस्था सिर्फ पर्यटन कारोबार पर ही आश्रित है । ऐसे दौर में बुंदेलखंड के खजुराहो में सम्पन्न हुए ब्रिक्स पर्यटन समिट का अपना एक अलग महत्व है । यह इसलिए भी महत्व पूर्ण हो जाता है की दुनिया की लगभग आधी आबादी भारत ,चीन , रूस ,साऊथ अफ्रीका और ब्राजील में रहती है । ब्राजील को छोड़ कर बाकी देशो के प्रतिनधियों का खजुराहो आना और यहां भारत के पर्यटक स्थलों के विकाश और पर्यटकों के एक दूसरे के देश में आने जाने पर विचार विमर्श करना , पर्यटन के क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है ।

दो दिवसीय ब्रिक्स देशों की पर्यटन समिट में साउथ अफ्रीका के पर्यटन मंत्री सहित आठ व चाइना के पांच और रूस का एक सदस्य शामिल हुआ । इसके अलावा केंद्रीय पर्यटन सचिव , और उनका दल , उत्तर प्रदेश वा मध्य प्रदेश के पर्यटन सचिव , मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्री ने , समिट में ब्रिक्स देशों के बीच में किस तरीके से पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए इस पर विचार विमर्श किया गया । ब्रिक्स देशों के नागरिक इन देशों के स्थित पर्यटन स्थलों को देखने के लिए आसानी से आ सके इसकी कनेक्टिविटी को लेकर भी चर्चा की गई है। चर्चाये बहुत हुई ब्रिक्स देशो के नागरिको के लिए वीसा नियमो में ढील की , पर्यटन क्षेत्रों में रेल और हवाई संपर्क बढ़ाने की , आपसी संपर्क और संबंधों के विस्तार के साथ पर्यटन में आधुनिक तकनिकी के इस्तेमाल पर व्यापक विचार विमर्श हुआ । पर्यटन में महत्व पूर्ण भूमिका निभाने वाले टूर आपरेटर्स ने भी इस सम्मिट में अपने विचार रखे और एक मार्केटिंग प्लान ब्रिक्स देशो के सामने रखा । पर्यटन में मार्केटिंग के महत्व को बताते हुए टूर ऑपरेटरों को एक उचित प्लेटफॉर्म देने की वकालत भी की ।

ब्रिक्स देशों के इस सम्मिट में आये उत्तर प्रदेश से आये पर्यटन मंत्रायलय के लोगों ने पर्यटन के विस्तार को लेकर अपनी कार्य योजना भी बताई । उन्होंने बताया की हम एकऐसा टूरिस्ट सर्किल बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमे बनारस को देख कर पर्यटक इलाहबाद , चित्रकूट , खजुराहो ,और ओरछा होते हुए झांसी पहुंच जाए । इस टूरिस्ट सर्किल में भविष्य में पन्ना , कालिंजर , अजयगढ़ , महोबा और चरखारी को जोड़ने की बात भी कही गई ।

देखा जाए तो बुंदेलखंड में पग पग पर स्थापत्य कला की जीवंत धरोहर मौजूद है , साथ ही है प्रकृति का अद्भुत वरदान , जैव विविधिता का ऐसा संगम बहुत कम जगह देखने को मिलता है । इस दशक के शुरुआत में पन्ना के तत्कालीन कलेक्टर रविन्द्र पस्तोर ने बुंदेलखंड को टूरिज्म सर्किट विकसित करने के अपने स्तर पर प्रयास किये थे । उन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व , टाइगर रिजर्व के अंदर मौजूद शील चित्रो , पन्ना के पांडव फाल , कौआ सेहा , ब्रस्पति कुंड , नचना का शिव मंदिर , भगवान् राम के आश्रम शारंग धाम , अगस्त मुनि के आश्रम , अजयगढ़ किला , पड़ोस के कालिंजर फोर्ट , चित्रकूट , खजुराहो , जटाशंकर , भीम कुंड , धुबेला , महोबा ,चरखारी , दमोह के बांदकपुर , टीकमगढ़ के बल्देवगढ़ के किला , कुंडेश्वर , ओरछा को इस टूरिस्ट सर्किल में जोड़ने की बात कही थी । उनके जाने के बाद उनके प्रयास कागजों में ही दफ़न हो कर रह गए \ बाद में पन्ना कलेक्टर के रूप में आई दीपाली रस्तोगी ने जरूर कुछ सार्थक प्रयास किये और मंदिरो के आस पास के अतिक्रमण हटवाए , अजयगढ़ किला के लिए सीढ़िया बनवाई , उनका प्रयास था की कालिंजर की तरह अजयगढ़ के किले तक सड़क बनाई जाए , पर यह सफल ना हो सका । इसी दौर में छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर रहे अजात शत्रु ने खजुराहों ,व्यास बदौरा के मंदिर , जटाशंकर , भीमकुण्ड , धुबेला होते हुए ओरछा प्रस्थान के सर्किल बनाने का प्रयास किया था । कुर्सी पर व्यक्ति के बदलने के साथ ही योजनाए और सपने दफ़न हो जाते हैं यही भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था है ।


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